पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि 2 शिष्याओं से दुष्कर्म के अपराध में 20 साल जेल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार- बार पैरोल देने से राज्य में कानून-व्यवस्था की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। पंजाब सरकार ने डेरा प्रमुख को पैरोल देने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की याचिका पर जवाब में यह कहा है, जबकि हरियाणा सरकार से इस याचिका पर इससे बिल्कुल अलग जवाब दिया था। राम रहीम सिंह को पैरोल दिए जाने का समर्थन करते हुए हरियाणा सरकार ने कहा था कि वह कट्टर कैदी की परिभाषा के तहत नहीं आता और उसे सीरियल किलर नहीं कहा जा सकता है। डेरा प्रमुख को 20 जनवरी को 40 दिन की पैरोल दी गई थी। एसजीपीसी ने पैरोल आदेश को हाल में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
पंजाब सरकार ने अपने जवाब के पीछे 2017 में दुष्कर्म के एक मामले में हरियाणा की पंचकूला अदालत से दोषी ठहराये जाने पर डेरा प्रमुख के समर्थकों द्वारा किए गए उपद्रव का हवाला दिया। उसने अदालत में यह भी कहा कि समाज के कुछ वर्ग डेरा प्रमुख को आए दिन अस्थायी पैरोल दिए जाने की तुलना उन लोगों से कर सकते हैं जो लंबे समय से जेल में बंद हैं। एसजीपीसी समेत कई सिख संस्थाओं ने ‘सिख कैदियों’ की रिहाई की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि सजा पूरी होने के बावजूद इन लोगों को जेल में रखा गया है। पंजाब सरकार के अनुसार, राम रहीम सिंह को आए दिन पैरोल देने से खास धार्मिक समुदाय के बीच असंतोष पैदा हो गया है और इससे डेरा अनुयायियों के बीच ‘जश्न का माहौल’ पैदा हो गया है जिससे समाज के कुछ वर्ग खासे नाराज हैं।