चीन ने श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन को समर्थन देने का आश्वासन दिया है जिसके साथ ही कर्ज से दबे इस देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 2.9 अरब डॉलर का राहत पैकेज मिलने का रास्ता साफ हो गया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को यह जानकारी दी। आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका को आईएमएफ से कर्ज दिलाने के प्रयासों का भारत ने भी जनवरी में मजबूती से समर्थन किया था। विक्रमसिंघे के पास वित्त मंत्रालय का भी प्रभार है। उन्होंने संसद को सूचित किया, ‘‘चीन के एग्जिम बैंक से नया पत्र मिला है जिसके बाद
आईएमएफ को हमारा आशय पत्र भेज दिया गया। हमारी तरफ का दायित्व पूरा हो गया है और उम्मीद है कि इस महीने के तीसरे या चौथे हफ्ते तक आईएमएफ अपने कर्तव्य को पूरा करेगा। इससे हमें विश्व बैंक तथा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से कोष मिलना भी संभव हो सकेगा।’’ इससे पहले के पत्र में चीन ने कर्ज भुगतान के लिए दो वर्ष की मोहलत देने की बात कही थी जिसे आईएमएफ ने अपर्याप्त माना था।
आईएमएफ ने पिछले वर्ष सितंबर में श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर का राहत पैकेज चार वर्ष की अवधि के दौरान देने की मंजूरी दी थी, हालांकि यह कर्जदाताओं के साथ कर्ज के पुनर्गठन की श्रीलंका की क्षमता पर निर्भर करता। जून, 2022 के अंत तक श्रीलंका पर करीब 40 अरब डॉलर का द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और वाणिज्यिक कर्ज था। कुल कर्ज में से चीन से मिले कर्ज की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत और द्विपक्षीय कर्ज में 43 प्रतिशत है।
नकदी संकट से जूझ रहा भारत का एक और पड़ोसी पाकिस्तान आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर की किस्त का इंतजार कर रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में मंगलवार को बताया गया कि पाकिस्तान ने आईएमएफ को सूचित किया है कि उसने चीन से दो अरब डॉलर के जमा ‘स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज (एसएएफई)’ की अवधि और एक वर्ष के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया है। चालू महीने के अंत में यह जमा परिपक्व होने वाला है। चीन का कुल चार अरब डॉलर का एसएएफई जमा है। बाकी की राशि की परिपक्वता अवधि अगले कुछ महीनों की है।