कार्यक्रम में रामदेव ने कहा कि रामनवमी के दिन चार वेदों के महापारायण यज्ञ की पूर्णाहूति के साथ रामराज्य की प्रतिष्ठा, हिन्दू राष्ट्र का गौरव और सनातन धर्म को युगधर्म और विश्वधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए ये नव-संन्यासी हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों की संन्यास परंपरा में दीक्षित होंगे। उन्होंने कहा, ये वैराग्यवान विद्वान व विदुषी भाई-बहन अष्टाध्यायी, व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में निष्णात होकर योगधर्म, ऋषिधर्म, वेदधर्म, सनातन धर्म की वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए संकल्पित होंगे। इससे भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण के अभियान को ऊर्जा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ में स्त्री-पुरुष, जाति, मत, पंथ, धर्म, संप्रदाय की संकीर्णताओं का कोई भेद नहीं है और यहां से संन्यास दीक्षा में दीक्षित होकर सभी भाई—बहन सनातन धर्म की पताका पूरे विश्व में फहरायेंगे। अपने संबोधन में राम मंदिर पर बोलते हुए रामदेव ने कहा कि इससे रामराज्य की प्रतिष्ठा होगी और राम मंदिर के साथ-साथ यह देश का राष्ट्र मंदिर भी बनेगा।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर का लोकार्पण अगले वर्ष जनवरी में हो जाएगा तथा जम्मू—कश्मीर से धारा 370 भी समाप्त हो गई है। हांलांकि, उन्होंने कहा की अभी दो बड़े काम होने बाकी है पहला— समान नागरिक संहिता लागू करना तथा दूसरा जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना। उन्होंने उम्मीद जताई की कि ये दोनों काम भी अगले साल 2024 तक हो जाने चाहिए।
इससे पहले, भव्य संन्यास दीक्षा कार्यक्रम का उदघाटन् करते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा कि पतंजलि योगपीठ से 100 लोगों के संन्यास की दीक्षा लेना तथा संन्यास लेने की इच्छा जाहिर करने वाले 15000 युवाओं में से 500 प्रबुद्धजनों के आचार्य बालकृष्ण से ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेने का अवसर बहुत रोमांचित करने वाला है। उन्होंने कहा कि यह चमत्कार तो स्वामी रामदेव ही कर सकते हैं। दस दिवसीय इस कार्यक्रम में देश के शीर्ष संतों के अलावा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी शामिल होने की संभावना है। कुछ वर्ष पहले भी रामदेव सौ युवक युवतियों को संन्यास की दीक्षा दे चुके हैं।